पावस
घुमड़ हुमड ..छा काली घटा
रिमझिम बूँद बूँद पानी
छाये गड्गढ़ायेय मेघो संग
परकृति ने कुच्छ करने की ठानी
ऐसे रिझाने ....नटखट ठाने..पर
पावस तुझे में चूम लूं .....तुझमे थोडा झूम लूं
गर्म तपन इस धरती मय्या की
चीख हताशा और सुखिया की
तेरे बदल के दल देखे
नाच गान ....जग मस्त हो चेह्के
ऐसे आने ......जल बरसाने ....तेरे इस विराट लीला पर
पावस तुझे में छुम लूं....तुझमे थोडा झूम लूं
तुझे देख उठते हिल खिलते
पेड पौध नव राग में लिपटे
बूँद बूँद छूती तुझसे जो
झुण्ड के झुण्ड उन्हें पाने को
टिप टिप बूंदे ....आँख मैं मूंदे .....आ पड़ें सब मेरे मुख पर
पावस तुझे मैं छुम लूं...तुझमे थोडा झूम लूं
व्याकुल का अमृत भर है तू .....बैरागी की मोहिनी
तेरे भाग में ही लिखी है....तू धरती माँ की भगिनी
तेरे सुकर्म इस चरित्र पर......धार या दरिद्र को भर भर
पावस तुझे मैं चूम लूं....तुझमे थोडा झूम लूं
तू नदियों मे....नदियाँ तुझसे .......हिलती मिलती इनसे हर चर
तुझमे नहा कर ...पाप सभी हर....निर्मल रह जाते सब केवल
गंगा में हो या यमुना मे...तेरे जल का पूजन निर्धारण
ऐसी ममता ...अपार दयामयी .......तू एक और माता भी
पावस तुझे मैं चूम लूं...तुझमे थोडा झूम लूं
धरती माँ पर जब तब आये ....सबका अस्तित्व बच्चाये
भीषण भी तू....कृपा उमड़ती ......यूं बह बह के..
जब भी आती मौन ही आती ....तड़क भड़क न कर दिखावे
सभी तरह से.......तू कल्याणी ह्रदय को धर......चरण कहाँ मैं छुं लूं
पावस तुझे मैं चूम लूं....तुझमे थोडा झूम लूं
ऐसे रिझाने ....नटखट ठाने..पर
पावस तुझे में चूम लूं .....तुझमे थोडा झूम लूं
गर्म तपन इस धरती मय्या की
चीख हताशा और सुखिया की
तेरे बदल के दल देखे
नाच गान ....जग मस्त हो चेह्के
ऐसे आने ......जल बरसाने ....तेरे इस विराट लीला पर
पावस तुझे में छुम लूं....तुझमे थोडा झूम लूं
तुझे देख उठते हिल खिलते
पेड पौध नव राग में लिपटे
बूँद बूँद छूती तुझसे जो
झुण्ड के झुण्ड उन्हें पाने को
टिप टिप बूंदे ....आँख मैं मूंदे .....आ पड़ें सब मेरे मुख पर
पावस तुझे मैं छुम लूं...तुझमे थोडा झूम लूं
व्याकुल का अमृत भर है तू .....बैरागी की मोहिनी
तेरे भाग में ही लिखी है....तू धरती माँ की भगिनी
तेरे सुकर्म इस चरित्र पर......धार या दरिद्र को भर भर
पावस तुझे मैं चूम लूं....तुझमे थोडा झूम लूं
तू नदियों मे....नदियाँ तुझसे .......हिलती मिलती इनसे हर चर
तुझमे नहा कर ...पाप सभी हर....निर्मल रह जाते सब केवल
गंगा में हो या यमुना मे...तेरे जल का पूजन निर्धारण
ऐसी ममता ...अपार दयामयी .......तू एक और माता भी
पावस तुझे मैं चूम लूं...तुझमे थोडा झूम लूं
धरती माँ पर जब तब आये ....सबका अस्तित्व बच्चाये
भीषण भी तू....कृपा उमड़ती ......यूं बह बह के..
जब भी आती मौन ही आती ....तड़क भड़क न कर दिखावे
सभी तरह से.......तू कल्याणी ह्रदय को धर......चरण कहाँ मैं छुं लूं
पावस तुझे मैं चूम लूं....तुझमे थोडा झूम लूं
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