Wednesday, 13 January 2016

o yogi matwaale....kucch raaz humein bhee batlaa dey






ओ योगी मतवाले


योग में रत रहने वाले 
योग के अध्येता ओ
इन सांसो का राज़ हमे भी 
थोड़ा तोह बतला दे 
योगी मतवाले ! ओ योगी मतवाले

मन में गांठे बहुत पडी हैं 
रहा बैर अपनों में घोल 
मन में गांठे बहुत पडी हैं 
रहा बैर अपनों में घोल 
अपने इन हाथों से तू 
इनको भी तोह सुलझा दे 
योगी मतवाले ! ओ योगी मतवाले

अंधी दौड़ दौड़ रहे हैं 
होश अब रहता कहाँ 
अपने क्या और बैर क्या अब
बस दिखावा छा रहा
इस निराशा में ओ योगी 
तू है राहत का जहां

इतने अंगारो में भी 
मुखड़े पर मुस्कान है 
भीड़ इतनी बढ़ती रहती 
फिर भी सबका ध्यान है

ऐसा जादू करता है तू 
मन हमारे भाता है 
ऐसा जादू करता है तू 
मन हमारे भाता है 
शांत सागर से मुखड़े पर 
हल्का सा मुस्काता है 
इसी हंसी की चाशनी को 
हम सबमें में घुलवा दे 
योगी मतवाले ! ओ योगी मतवाले 
                         
                                - विक्रमादित्य

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