Sunday, 24 January 2016

jo bhed nhee hota !!!



जो भेद नहीं होता... 

जो भेद न बोआ होता तोह कोई खेद कहाँ होता 
जो खेद नही होता तोह आखिर क्रोध कहाँ होता 
जो क्रोध नही होता तोह हिंसा कहाँ होती 
जो हिंसा नहीं होती तोह कोई शास्त्र कहाँ होता 
जो शास्त्र नहीं होता तोह कोई अस्त्र कहाँ होता 
अस्त्र शास्त्र नहीं होते तोह कोई सेना कहाँ होती 
जो सेना नहीं होती , तू-तू में - में नहीं होती 
तू-तू में-में नहीं होती तोह बंटवारा नहीं होता 
जो बंटवारा नहीं होता कोई आवारा नहीं होता 
जो आवारा नहीं होता कोई अपराधी नहीं होता 
अपराधी नहीं होता तोह वह इंसान ही होता 
जब भेद ही सबकी जड़ कोई भेद नहीं बोते 
इंसान वहीं होते सब इंसान ही तोह होते 

                                            -विक्रमादित्य




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